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16 साल की काव्या ने भेजा था वॉइस नोट: “मुस्कान जल्दी आ, पापा को मुकुल ने मार दिया…” — फिर जो खुलासा हुआ, वह दिल दहला देने वाला था

मुस्कान जल्दी आ, बलपुरा… पापा को मुकुल ने मार दिया है…”

16 साल की काव्या की चचेरी बहन मुस्कान को मिला ये वॉइस नोट ना सिर्फ उनके पूरे परिवार को हिला गया, बल्कि जबलपुर पुलिस की नींद भी उड़ा दी। मुस्कान ने जब यह वॉइस मैसेज आधे घंटे बाद सुना, तो उसके होश उड़ गए। घबराई हुई मुस्कान ने भागकर अपने पापा को यह संदेश सुनाया, जिनके लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी — उनके भाई और भतीजे की हत्या हो चुकी थी।

सिंस-पिपरिया और जबलपुर के बीच लगभग 230 किलोमीटर की दूरी होने के कारण मुस्कान के परिवार वाले वहां तत्काल नहीं पहुंच सके। उन्होंने जबलपुर में रह रहे रिश्तेदारों और पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी।

जब पुलिस पहुंची घटनास्थल पर…

करीब 3 बजे जब पुलिस जबलपुर के रेलवे मिलेनियम कॉलोनी स्थित घर पहुंची, तो वहां का मंजर बेहद खौफनाक था। काव्या के पिता राजकुमार की लाश पॉलिथीन में लिपटी हुई किचन में पड़ी थी। लेकिन उनका छोटा बेटा, 8 वर्षीय तनिश, कहीं नहीं मिला। तभी एक पुलिसवाले की नजर फ्रिज के हैंडल पर पड़ी — खून के धब्बे। फ्रिज खोला गया और उसमें से कंबल में लिपटी तनिश की लाश बरामद हुई।

तनिश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने और चौंका दिया — उसकी मौत फ्रिज में दम घुटने से हुई थी। उसके सिर पर छह बार वार किया गया था, लेकिन वह तुरंत नहीं मरा। यानी उसे जिंदा फ्रिज में डाल दिया गया था।

अब सवाल ये था — काव्या कहां है?

वॉइस नोट में उसने मुकुल का नाम लिया था। ये वही मुकुल था, जिस पर कुछ महीने पहले काव्या की किडनैपिंग और रेप का केस दर्ज हुआ था और जिसे जेल भेजा गया था। लेकिन CCTV फुटेज में देखा गया कि 15 मार्च को दोपहर 12:30 बजे मुकुल स्कूटी से कॉलोनी से निकलता है और उसके पीछे-पीछे काव्या भी निकलती है।

तो क्या मुकुल जेल से बाहर था? हां!

दरअसल, मुकुल और काव्या रिलेशनशिप में थे। सितंबर 2023 में दोनों भागकर भोपाल चले गए थे। फिर काव्या के पिता की शिकायत पर मुकुल को गिरफ्तार कर पॉक्सो एक्ट में जेल भेजा गया। लेकिन कोर्ट में काव्या ने कहा कि वह अपनी मर्जी से गई थी और मुकुल ने कुछ गलत नहीं किया। इसी बयान के आधार पर मुकुल को रिहा कर दिया गया था।

अब दोनों फरार थे… और पुलिस के लिए चुनौती बन चुके थे।

CCTV फुटेज से पुलिस को पता चला कि ये दोनों लगातार अपनी लोकेशन बदल रहे हैं — कटनी, पुणे, विशाखापट्टनम, मुंबई, गोवा होते हुए इनकी आखिरी लोकेशन कर्नाटक के गुलबर्गा में मिली थी। ये पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे पुलिस को इनका डिजिटल ट्रेस नहीं मिल पा रहा था।

पुलिस ने खोला एक और राज…

मुकुल की 15 मार्च की सुबह 3 बजे की फुटेज मिली, जिसमें वह हाथ में ग्लव्स, गैस कटर और पॉलिथीन लेकर काव्या के घर जाता दिखा। यानी ये प्लान पहले से था। काव्या और मुकुल ने मर्डर के बाद करीब 4 घंटे तक घर में चाय और खाना खाया और फिर निकल गए।

अब सबसे बड़ा सवाल —

अगर काव्या मासूम थी, तो उसने मर्डर के बाद 4 घंटे इंतजार क्यों किया?

अगर वो डर में थी, तो उसने 8:30 बजे ही वॉइस नोट क्यों भेजा?

क्या यह सब भी एक प्लान का हिस्सा था?

यह कहानी सिर्फ हत्या की नहीं, विश्वासघात, प्लानिंग और खौफनाक मनोवृत्ति की भी है।

आज जब यह रिपोर्ट लिखी जा रही है (18 अप्रैल 2024), तब भी पुलिस की आठ टीमें और 35 अफसर इस मासूम सी दिखने वाली काव्या और उसके शातिर साथी मुकुल की तलाश कर रही हैं। इस केस ने रिश्तों को ही नहीं, इंसानियत को भी झकझोर दिया है।

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