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वाराणसी से जासूस गिरफ्तार: पाकिस्तान के लिए जासूसी, बाबरी का बदला और ग़ज़वा-ए-हिंद का प्रचार

उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए वाराणसी से तुफैल नामक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था और भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ पाकिस्तान के साथ साझा कर रहा था। इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर देश की सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे को उजागर कर दिया है।

तुफैल, जो मक़सूद आलम का बेटा है, पर यह आरोप है कि वह पाकिस्तान के कई लोगों के संपर्क में था और व्हाट्सएप ग्रुप्स में देशविरोधी सामग्री फैला रहा था। एटीएस की जानकारी के अनुसार, वह पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘तेहरीक-ए-लब्बैक’ के नेता मौलाना शाह रिज़वी के वीडियो शेयर करता था। इसके अलावा वह ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’, बाबरी मस्जिद का बदला और भारत में शरीयत लागू करने जैसे कट्टरपंथी विचार भी फैला रहा था।

क्या है ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’?

‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ एक इस्लामी कट्टरपंथी विचार है, जिसका अर्थ है भारत पर अंतिम धार्मिक युद्ध। यह विचार कुछ कट्टरपंथी संगठनों द्वारा फैलाया जाता है जो इसे “पैगंबर की भविष्यवाणी” मानते हैं। तुफैल द्वारा इस तरह की विचारधारा का प्रचार एक गंभीर राष्ट्रीय खतरा माना जा रहा है।

बाबरी मस्जिद और शरीयत का जिक्र

तुफैल के व्हाट्सएप मैसेजेस में बाबरी मस्जिद का बदला लेने और भारत में शरीयत लागू करने जैसे भड़काऊ संदेश पाए गए। यह केवल धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश नहीं है, बल्कि देश की एकता, अखंडता और संवैधानिक मूल्यों पर हमला है।

ATS की कार्यवाही और अलर्ट

ATS वाराणसी फील्ड यूनिट ने समय रहते इनपुट एकत्र कर तुफैल को गिरफ्तार किया। जांच एजेंसियों का मानना है कि तुफैल के पाकिस्तान स्थित नेटवर्क के साथ लगातार संपर्क थे, और वह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हो सकता है। फिलहाल, उससे पूछताछ की जा रही है और उसके मोबाइल डेटा, सोशल मीडिया अकाउंट्स और संपर्क सूत्रों की गहन जांच चल रही है।

क्या कहता है यह घटनाक्रम?

यह घटना दिखाती है कि भारत में बैठे कुछ तत्व अब भी पाकिस्तान के इशारे पर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं। यह केवल जासूसी का मामला नहीं है, बल्कि यह विचारधारा की जंग है, जिसे विदेशी ताकतें हमारे देश में फैलाना चाहती हैं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। लोग पूछ रहे हैं कि ऐसे लोगों को कौन समर्थन दे रहा है और यह नेटवर्क भारत में कैसे पनप रहा है। कई लोगों ने इसे “आतंकवाद का डिजिटल रूप” बताया है।

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